बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी का प्रबंधन

कपास फसल जिले की प्रमुख खरीफ फसल होने के साथ-साथ जिले की अर्थव्यवस्था में कपास फसल महत्वपूर्ण योगदान है। गत वर्ष खरीफ सीजन में कपास फसल का कुल बुवाई क्षैत्र 158700 है0 था। जिसमें से 95 प्रतिशत से अधिक है0 क्षैत्र में बीटी कपास की बुवाई हुई थी चूकिः कपास फसल के बाजार भाव अच्छे रहने के कारण इस वर्ष कपास के बुवाई क्षैत्र में ओर अधिक वृद्धि होने का अनुमान है। परन्तु गत वर्ष सीमावृति राज्यों पंजाब एवं हरियाणा में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने के कारण कृषको को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। गुलाबी सुण्डी की रोकथाम एवं नियंत्रण बुवाई से लेकर कटाई तक किये गये समन्वित प्रयासो से ही सम्भव हो सकता है।

गुलाबी सुण्डी की पहचान एवं जीवन चक्र

गुलाबी सुण्डी (पेक्टिनाॅफोरा गाॅसिपिएला) के प्रोढ़/व्यस्क गहरे सलेटी चमकीले रंग के सोने जैसी झाई युक्त 8 से 9 मि.मि. आकार के होते है। यह एक फुर्तीला कीट है इसके अण्डे हल्के गुलाबी व बैंगनी रंग के होते है। जो प्रायः फूलो, पुष्पदल के संयोजन एवं नये टिण्डो पर पाये जाते है। अण्डो से निकली प्रारम्भिक अवस्था की सुण्डीयों (लार्वा) का रंग सफेद होता है। अण्डो से निकलने के दो दिन उपरान्त सुण्डी पुष्प के अण्डाशय एवं नवनिर्मित टिण्डो को भेदना शुरू कर देती है तथा 3 से 4 दिन उपरान्त सुण्डी गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाती है। इस कीट की सुण्डीयां पौधे के वानस्पतिक भागो पर जीवित नहीं रह सकती। यदि इस कीट का व्यस्क कपास के फलीय भाग बनने से पहले उत्पन हो जाता है तो इसे कीट का आत्माघाति उद्भवन (स्यूसाइडल इर्मजैन्स) कहते है। गुलाबी सुण्डी सर्दी के मौसम में सुसुप्तावस्था (प्यूपा) में चली जाती है। जो कपास के दो बीजो को जोड़कर या बीज का आकार बड़ा होने पर एक बीज के मध्य उपस्थिति रहती है। सर्दीयो के बाद मई जून माह में इस कीट के पतंगे निकलने शुरू हो जाते है।

गुलाबी सूँडी का जीवन चक्र

गुलाबी सूँडी

गुलाबी सूँडी के क्षति के लक्षण

सूँडी सूँडी सूँडी सूँडी सूँडी
सूँडी सूँडी

गुलाबी सुण्डी प्रकाश से दूर रहकर फलीये भागो के अन्दर छुपकर नुकसान करती है। कपास की कलीयो, फूलो व टिण्डो कोे काटकर देख तो छोटी अवस्था की सुण्डी प्रायः इन भागो के ऊपरी (एपीकल पार्ट) हिस्सो में देखी जा सकती है। जिन फूलो में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप होता है वे फूल गुलाब के फूल (रोजेटिड ब्लूम) के सामान दिखाई देते है। इस कीट से ग्रसित अण्डे समय से पहले खिल जाते है एवं बुरी तरह से सड़ जाते है। गुलाबी सुण्डी के लार्वा दो बीजो को आपस मे जोडकर व उन्हे अन्दर से खाकर नुकसान पहुचाती है।

  • कपास की जीनिंग व बिनौला से तेल निकालने वाली मिलों में बिनौलो को खुले में भण्डारित न करें। बिनौलो के ढेर को प्लास्टिक शीट से ढककर रखे। क्योकि जिनिंग मिलों में भण्डारित बिनौलो में गुलाबी सुण्डी के प्यूपा बहुतायात में हो सकते है। जो कि मई जून माह में व्यस्क बनकर आस-पास के कपास के खेतो में नुकसान कर सकते है।
  • जिनिंग मिलों में जिनिंग प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले अवशेष को पूर्ण रूप से नष्ट कर देना चाहिए।
  • जिन किसान भाईयो ने अपने खेत में कपास की छंटिया/बनसटी के ढेर लगा रखे है। उन बनसटीयों को जमीन पर अच्छी झाड़ लेवें तथा यथासम्भव खेत से दूर जमीन पर लम्बवत रखे। ताकि अधिक तापमान के कारण गुलाबी सुण्डी के प्यूपा नष्ट हो सके। बनसटीयों के ढेर के नीचे पड़े कचरे/डोडे को जलाकर नष्ट कर देवें।